Wednesday, December 31, 2014

राहें थीं जानी-पहचानी

राहें थीं जानी-पहचानी 
राहगीर थे मगर अनजान 
निशा की ओट से देखो कैसे 
झाँक रहा बिहान ----

कृत्रिमता से दूर रहकर 
स्नेह सदा सहेजना 
जलना धूप -अगरबत्ती बन 
मेरी बातों का मर्म समझना ----

वर्तमान अतीत बन कर 
कागज के पन्नों में समा गया 
भविष्य भावों में ढलकर 
वर्तमान पे छा गया --

तेरी खुशियाँ -तेरे सपने 
सारे हो साकार 
विदा लेते कह रहा २०१४ 
२०१५ ले रहा आकार … 
                                    सभी  ब्लॉगर साथियों को नए वर्ष की बहुत -बहुत शुभकामनाएं --- 
भगवान करे इस नए साल में आपको, आपके स्तर के दोस्त मिले --दुश्मन भी मिले ताकि आपका जीवन काँटों में घिरकर फूलों जैसे खिले। ....... इसके लिए बस आपको  इतना करना होगा कि आप मर्यादित रहें --संयमित रहें साथ हीं साथ .……  अपने और अपने परिवार के प्रति ईमानदार रहें ----अगर मेरे शुभचिंतक हैं तो -----
मुझे भी कुछ सुझाव अवश्य दें---टिप्पणी के रूप में ----- 
समर्पित --पी -एच -डी -कोर्से वर्क की पुरी टीम को।